चीता को संस्कृत में क्या कहते है ?

चीता को संस्कृत में वाघः, व्याघ्रः, चित्रकः या तरक्षु कहते है, चीता शब्द संस्कृत शब्द चित्रकाय: से बना है।

संस्कृत भाषा में “वाघः” शब्द का प्रयोग विशेष रूप से राजसी और शक्तिशाली बड़ी बिल्ली की प्रजाति की दिखाने के लिए किया जाता है, कविता, साहित्य या सामान्य बातचीत में भी चीता शब्द का प्रयोग करते समय “वाघः” शब्द का प्रयोग भी किया जा सकता है।

बिल्ली के प्रजाति में आने वाला चीता अक्सर अपनी फुर्ती और रफ़्तार के कारण जाना जाता है, यह एकमात्र ऐसा जानवर है जिसकी रफ़्तार 120किमी/घंटा से भी ज्यादा होती है, मात्र 3 सेकंड में ये अपनी रफ़्तार को 103किमी/घंटा तक बढ़ा सकता है।

नीचे दिए गए वाक्यों से आप चीता को संस्कृत में उपयोग करना सिख सकते है।

1. चीता जंगल में अकेला घूम रहा है।

वाघः वने एकः एव भ्रमति

2. बाद में चीता जानवरों को खा जाता है।

पश्चात् वाघः पशून् खादति।

3. चीता संघर्ष से जीतता है।

व्याघ्रः संघर्षेण विजयते।

4. चीता अपने पंजो पर चलता है।

वाघः पङ्गुषु गच्छति

5. चीता अचानक हमला कर सकता है।

वाघः सहसा आक्रमणं कर्तुं शक्नोति

6. चीता ने हिरण का शिकार किया।

वाघः मृगान् मृगयति स्म

7. चीता अपनी रफ़्तार के लिए जाना जाता है।

व्याघ्रः वेगेन प्रसिद्धः अस्ति

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