घोड़े को संस्कृत में क्या कहते है ?

Ghode ko sanskrit mein kya kahate hain : घोडा एक शानदार और बहुमुखी जानवर है, जो हमेशा से इंसानो का साथी रहा है, यह अपनी रफ़्तार और सुंदर बनावट के लिए जाना जाता है।

संस्कृत साहित्यो, ग्रंथो में तो घोड़े को अक्सर ताकत और रफ़्तार जैसे महान गुणों से जोड़ा जाता है, घोडा हिन्दू पौराणिक कथाओं में काफी प्रचलित है, जिसका उपयोग देवी देवताओ के रथ खींचने के लिए किया जाता था।

घोड़े को संस्कृत में क्या कहते है ?

घोड़े को संस्कृत में घोटकः, अश्वः कहते है। संस्कृत साहित्य, संस्कृति, कविताओं और पौराणिक कथाओं में घोड़े का बहुत महत्व है।

उदाहरण

नीचे दिए गए कुछ उदाहरण से आप घोड़े शब्द का संस्कृत भाषा में प्रयोग समझ सकते है।

1. घोड़ा खुले मैदान में सरपट दौड़ रहा है।

अश्वः मुक्तक्षेत्रे द्रुतं गच्छति।

2. घोड़ा जोर-जोर से हिनहिनाने लगा।

अश्वः उच्चैः कूजितुं आरब्धवान् ।

3. घोड़ा चारों ओर शान से घूम रहा था।

अश्वः परितः द्रुतं गच्छति स्म ।

4. दौड़ते समय घोड़े की जटा हवा में लहरा रही है।

अश्वस्य केशाः धावन् वायुना विस्फुरन्ति ।

5. घोड़े ने अपने साथी को खेल-खेल में घायल कर दिया।

अश्वः क्रीडने स्वसहचरं क्षतिं कृतवान् ।

6. घोड़े ने अपने सवार की आज्ञा का पालन किया।

अश्वः सवारस्य आज्ञां पालितवान् ।

7. घोड़े का कोट सूरज की रोशनी में चमक रहा था।

अश्वस्य कोटः सूर्यप्रकाशे प्रकाशमानः आसीत् ।

आशा करते है अब आप समझ गए होंगे की Ghode ko sanskrit mein kya kahate hain और घोड़े शब्द का संस्कृत भाषा में कैसे प्रयोग होता है।

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